पंजाब की भगवंत मान सरकार नए विवाद में फंस गई है। इस बार विवाद उनके दिल्ली दौरे पर उठा है।
भगवंत मान दिल्ली के दो दिवसीय दौरे पर हैं। मंगलवार को वे दिल्ली के साथ मैमोरेंडम ऑफ अंडरस्टेंडिंग साइन करेंगे।
इसके मुताबिक पंजाब के 18 विभाग दिल्ली के विभागों के साथ जोड़े जाएंगे।
यानी वे दिल्ली के आदेश पर चलेंगे। इसी पर सियासी बवाल हो गया है।
पंजाब कांग्रेस के प्रधान अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग ने एक फोटो शेयर कर कहा कि मान साहब, बस इतना ही कह दें
कि पंजाब को अब दिल्ली से केजरीवाल साहब चलाएंगे।
उन्होंने कहा कि मान साहिब शिक्षा और स्वास्थ्य समवर्ती सूची में हैं फिर भी योजनाओं के क्रियान्वयन में
प्रशासनिक निर्णय राज्य सरकार द्वारा किया जाता है जिसके कर्मचारी राज्य विधानसभा के प्रति जवाबदेह होते हैं.
.संवैधानिक परंपराओं को दरकिनार करने के लिए यह कौन सा प्रशासनिक आविष्कार है।
पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रधान नवजोत सिद्धू ने कहा कि भगवंत मान का दिल्ली यात्रा वास्तविक मुद्दों से विचलन है,
अन्य चुनावों में लाभ के लिए केवल फोटो सेशन और राज्य के खजाने की बर्बादी है।
पंजाब को वित्तीय, किसानों और बिजली संकट से बाहर निकलने के लिए नीति की जरूरत है।
स्थानीय समस्याओं को स्थानीय समाधान की आवश्यकता है। समाधान आय सृजन में निहित है।

उन्होंने कहा कि भगवंत मान आठ साल से बतौर सांसद दिल्ली में थे,
तब आप दिल्ली के स्कूलों और मोहल्ला क्लीनिकों में क्यों नहीं गए? अपने निर्वाचन क्षेत्र संगरूर में
एमपी-लेड फंड से एक को भी क्यों नहीं दोहराया? आपकी दिल्ली यात्रा केवल प्रचार है
और सरकारी खजाने और पंजाबी गौरव की क्षति है।
पंजाब भाजपा के प्रवक्ता सुभाष शर्मा ने कहा कि मैं पंजाब के सीएम भगवंत मान से पूछना चाहता हूं कि
क्या यह रिपोर्ट ठीक है? क्या सच में पंजाब को अधिकारिक रूप से अरविंद केजरीवाल के हवाले किया जा रहा है?
यह एमओयू नहीं, मैमोरेंडम ऑफ सरेंडर है। पंजाब की अनख पर हमले को पंजाबी कभी स्वीकार नहीं करेंगे।