नई दिल्ली ( Sonu Chaudhry )
भारत के इतिहास में एक सर्वाधिक विवादास्पद धार्मिक शख्सियत जिसे डॉक्टर जाकिर नाइक के नाम से जाना जाता है, की कट्टरवादी विचारधारा के लिए विश्व भर में लाखों लोगों द्वारा घृणा व निंदा की जाती है। जाकिर नाइक विज्ञान के विद्यार्थी थे, जिनका जन्म और लालन पालन मुंबई में हुआ । उनका इस्लाम से ना के बराबर सरोकार था । 1987 में वे एक साउथ अफ्रीकी – अहमद हुसैन दीदत, इस्लाम के वक्ता व लेखक के संपर्क में आए जिनके वंशज भी भारतीय थे । जाकिर नाइक बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद 90 के दशक की शुरुआत में भारत के मुस्लिम नौजवानों के बीच एक युवा प्रतीक के रूप में उभरे जिनका व्यवहार ‘श्रेष्ठतावाद’ से भरपूर था । भारतीय मुसलमानों के अलावा विश्व के अन्य मुसलमानों ने भी नाइक का गुणगान अपने धार्मिक आदर्श के रूप में करना शुरू किया जिसकी वजह से उन्हें अप्रत्याशित लोकप्रियता मिलने लगी। * अपनी अप्रत्याशित लोकप्रियता और प्रशंसा के बीच डॉ नाइ क ने अन्य धर्मों व धर्म ग्रंथों के खिलाफ अनेकों विवादास्पद और भड़काऊ बयान दिए वह बहस छेड़ी। फलस्वरुप, उनके इंग्लैंड में प्रवेश करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया। सन 2015 में नाइक ने मुस्लिम देशों से आह्वान किया कि वे मुस्लिम राज में गिरजाघरो या मंदिरों के निर्माण को कदाचित सहन ना करें। उन्होंने यह भी मानने से इंकार कर दिया कि 9/ 11 हमले की साजिश एक मुस्लिम आतंकवादी संगठन द्वारा रची गई थी । सन 2017 में उन पर यह गंभीर आरोप लगे कि उन्होंने केरल के मुस्लिम नौजवानों को आईएसआईएस संगठन में शामिल होने के लिए प्रभावित किया जिसके कारण उनके संगठन ‘इस्लामिक रिसर्च फाऊंडेशन’ पर आतंकवाद विरोधी कानून के अंतर्गत 5 साल का प्रतिबंध लगा दिया। भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के हाथों गिरफ्तारी से बचने के लिए वह मलेशिया भाग गया।। ** उनके इन विवादास्पद भाषणों के फलस्वरूप विश्व की सबसे बड़ी इस्लामी संस्था ‘दारुल- उलूम देवबंद’ ने उनके खिलाफ अनेकों फतवे जारी किए जिनमें यह कहा गया कि उनका ज्ञान अधूरा है, अविश्वसनीय है, और मुसलमानों को उन्हें सुनने से गुरेज करना चाहिए ।। *** भारत जैसी बहुसांस्कृतिक देश जहां लाखों मुसलमान रहते हैं , उनकी मानसिकता को प्रभावित करने के लिए जाकिर नाइक ना सिर्फ खतरनाक साबित हो सकता था बल्कि वह उनकी धार्मिक सोच को भी डिगा सकता था। किसी समय जिस इंसान को हजारों की तादाद भारतीय नौजवान, खासतौर से छोटे कस्बों व शहरों में उसकी करिश्माई शख्सियत की वजह से पसंद करते थे, को अब देश की सुरक्षा एजेंसियां नौजवानों को कट्टर बनाने और हिंसा को बढ़ावा देने के लिए उसे ढूंढ रही है। दूसरे धर्मों में कमियां उजागर करके उसने ना सिर्फ इस्लाम की शिक्षाओं का उल्लंघन किया बल्कि ज्यादातर लोगों के दिलों में ऐसी घृणा पैदा की कि वे उसे असहिष्णु , आतंकवादी और हिंदू विरोधी समझने लगे। अगर भारत में मुसलमानों को अपने हिंदू भाइयों के साथ शांतिपूर्ण ढंग से रहना है तो उन्हें जाकिर नाईक जैसे प्रचारकों को खदेड़ना होगा और महान सूफी संतों जैसे- मोइनुद्दीन चिश्ती और निजामुद्दीन औलिया की शिक्षाओं को स्वीकारना होगा।।।।