अधिक खाद इस्तेमाल मामला….कृषि मंत्रालय की रिपोर्ट : पंजाब में 253 तो हरियाणा में 210 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर, रासायनिक उर्वरक का इस्तेमाल हो रहा
उच्च फसल की पैदावार को बनाए रखने के लिए पंजाब में रासायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल पिछले 5 वर्षों से औसतन 240 किग्रा प्रति हेक्टेयर रहा है। देश में ‘रासायनिक उर्वरकों’ की प्रति हेक्टेयर खपत पंजाब में सबसे अधिक है।
2021-22 के लिए राज्य में पोषक तत्वों (नाइट्रोजन, फॉस्फेट और पोटाश) द्वारा उर्वरकों की खपत 253.94 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर रही. इसके बाद हरियाणा का नंबर आता है, जहां रासायनिक उर्वरक की खपत 210.10 किग्रा. है। तीसरे स्थान पर तेलंगाना (206 किग्रा.), चौथे पर आंध्रप्रदेश (199.67 किग्रा.) और 5वें स्थान पर उत्तर प्रदेश है।
1 किलोग्राम रासायानिक उवर्रक से 50 किग्रा. उपज होती थी, अब घटकर 8 किलोग्राम रह गई
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार महज 30 प्रतिशत रासायनिक उर्वरक फसल के लिए उपयोगी होती है। बाकी मिट्टी की कुदरती उर्वरता को तेजी से नष्ट कर रहे हैं। हरित क्रांति के शुरुआती सालों में 1 किलोग्राम रासायानिक उवर्रक के इस्तेमाल से 50 किलोग्राम उपज होती थी जो अब घटकर 8 किलोग्राम रह गई है। इसलिए अब ज्यादा इस्तेमाल हो रहा है। रसायनिक उर्वरकों के अंधाधुध इस्तेमाल से जहां खेतों की उर्वरा शक्ति क्षीण होती जा रही है, वहीं सिंचाई के लिए पानी की भी कमी होती जा रही।
प्रति हेक्टेयर रासायनिक उर्वरक के उपयोग में पंजाब देश में पहले तो हरियाणा दूसरे स्थान पर
रासायनिक उर्वरक के अधिक उपयोग से मिट्टी की उर्वरता नष्ट हो रही
पिछले 5 वर्षों में पंजाब में रासायनिक उर्वरक की खपत लगातार बढ़ रही
जैव उर्वरक के प्रति किसान नहीं दिखा रहे उत्साह
जैव उर्वरकों (बायो फर्टिलाइजर) के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए किसानों को 3 साल के लिए 50,000 रुपये प्रति हेक्टेयर की आर्थिक सहायता भी दी जाती है। इसमें से 31,000 रुपये सीधे डीबीटी के माध्यम से किसानों को मिलते हैं। लेकिन फिर भी किसानों में इसके प्रति उत्साह नहीं है।