New Delhi
Sonu Chaudhry
भारत में अंग्रेजों के राज में किसी के लिए भी अपने हक की लड़ाई लड़ना आसान नहीं था। जब बात हो लड़कियों की शिक्षा की तो समाज ही इसे ज्यादा महत्व नहीं देता था। हालांकि, एक महिला थीं जिन्होंने इसके लिए कदम उठाए और भारत की पहली महिला शिक्षिका बन स्कूल खोले, ताकि बिना किसी भी तरह के भेदभाव के बच्चे बढ़ाई कर सकें।
3 जनवरी 1831 को महाराष्ट्र में जन्मी सावित्री बाई फुले की आज जयंती है। उन्हें भारत की सबसे पहली महिला शिक्षक कहा जाता है। महिलाओं के अधिकारों के लिए लड़ने वालीं सावित्री बाई का विवाह 9 वर्ष की आयु में 12 वर्ष के ज्योतिराव फुले से हुई थी।
सावित्री बाई फुले को पढ़ने की बहुत इच्छा थी, लेकिन इसका उनके परिवार और ससुराल वालों ने विरोध किया। हालांकि, उनके पति ने उनका साथ दिया। सावित्री बाई जब खेत में काम कर रहे पति ज्योतिराव को खाना देने जाती थीं तब उन्हें वह पढ़ाया करते थे। परिवार व समाज के विरोध के बावजूद उन्होंने सावित्री बाई को स्कूल में दाखिला दिलवाया। उन्होंने अध्यापक प्रशिक्षण संस्थान में भी प्रशिक्षण प्राप्त किया।