नई दिल्ली ( Sonu Chaudhry )
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में 21वीं सदी की दुनिया को बदल कर रख दिया है जो एक तर्कशील मुसलमान की आंखों से भी छिपा नहीं है। आधुनिक वैज्ञानिक खोज, क्रांतिकारी रक्षात्मक उपकरण, आने-जाने की असाधारण सुविधाएं और कंप्यूटर, मोबाइल फोन व हवाई जहाजों ने बेहतर जीवन के अंदाज़ और आर्थिक तरक्की को जन्म दिया जिसके कारण सभ्य व आधुनिक राष्ट्रों का निर्माण हुआ। पवित्र कुरान ने हमेशा ही शिक्षा के महत्व पर जोर दिया है। अल्लाह ने कुरान में खासतौर पर यह कहा है कि “अपने खुदा के नाम पर पढ़ो जिसने तुम्हें पैदा किया है। पढ़ो, तुम्हारा ईश्वर बहुत दयालु है जिसने कलम से सिखाया है।” यह कुरान का पहला खुलासा है जिसके कारण ना सिर्फ धार्मिक ज्ञान प्राप्त करने पर जोर दिया गया है बल्कि आधुनिक वैज्ञानिक ज्ञान प्राप्त करने पर भी जोर दिया गया है। ‘इल्म’ एक बहुतायत में इस्तेमाल होने वाला शब्द है जो प्रौद्योगिकी, गणित, दर्शनशास्त्र, मनोविज्ञान और आयुर्विज्ञान सभी को अपने में समाहित करता है।
हजरत मोहम्मद साहब कहते हैं कि “ज्ञान प्राप्त करना हर मुसलमान के लिए लाजमी है।” (अल-बयागी) यह मुसलमानों को खुद की शहादत देकर और कठिन परिश्रम कर ज्ञान प्राप्त करने का हुक्म देता है। इसे इस्लाम के प्रारंभिक काल में अपनाया गया और मकतब (स्कूलों) को खोलकर व इमामों (शिक्षकों) को नियुक्त कर इसकी शुरुआत की गई। शिक्षा पाना सभी मुसलमानों के लिए जरूरी है। इसका मतलब सिर्फ धार्मिक ज्ञान प्राप्त करना ही नहीं है अपितु हर प्रकार की आधुनिक शिक्षा प्राप्त करना भी है क्योंकि इस्लाम कभी भी अपने अनुयायियों को अपना एकाधिकार खोने के निर्देश नहीं देता जिसके कारण वे पिछड़ जाएं।
अनगिनत कुरान की आयतें और हदीसों के द्वारा साफ तौर पर यह साबित होता है कि मुसलमानों को अपनी तरक्की और खुशहाल जिंदगी के लिए आधुनिक ज्ञान प्राप्त करना चाहिए। अगर उन्हें आधुनिक शिक्षा नहीं मिलती तो वह दुनिया के साथ मुकाबला नहीं कर सकते। अगर मुसलमान विज्ञान व खोज के क्षेत्र में अपनी हारी हुई जमीन दोबारा प्राप्त करना चाहते हैं तो उन्हें धार्मिक शिक्षा एवं आधुनिक शिक्षा के मध्य बारीक संतुलन बनाना होगा। अगर वे ऐसा नहीं करते तो उनका असफल होना अवश्यंभावी है और वे इस दौड़ में पिछड़ जाएंगे।