रोड रेज केस में जेल गए नवजोत सिद्धू का आचरण ठीक रहा तो उन्हें सिर्फ 8 महीने की ही कैद काटनी होगी।
इसके बाद वह जेल से बाहर आ सकते हैं। जेल अफसरों और सरकार के पास यह अधिकार है।
जिसमें वह कैदी को जेल के अंदर अच्छे आचरण और अनुशासन के आधार पर सजा से कुछ दिनों की छूट दे सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू को 34 साल पुराने रोड रेज मामले में एक साल बामशक्कत कैद की सजा सुनाई है।
उन्होंने कल पटियाला कोर्ट में सरेंडर किया। जिसके बाद उन्हें पटियाला सेंट्रल जेल में भेज दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू को बामशक्कत कैद की सजा सुनाई है। वह जेल फैक्ट्री में काम करते हैं तो एक साल की सजा में उन्हें 48 दिन की छूट मिलेगी।
जेल में काम के दौरान अकुशल श्रमिक होने से पहले 3 महीने कोई वेतन नहीं मिलता,
लेकिन एक महीने में 4 दिन की छूट मिलती है।
जेल सुपरिटेंडेंट के पास किसी भी कैदी को सजा में 30 दिन की छूट देने का अधिकार होता है।
जेल अनुशासन का उल्लंघन करने वालों को छोड़ यह छूट लगभग हर कैदी को मिल जाती है।
DGP या ADGP जेल के पास भी सजा में 60 दिन की छूट का अधिकार है। हालांकि, यह कुछ विशेष मामलों में ही दी जाती है।
खास तौर पर जहां सियासी सहमति हो। सिद्धू के CM भगवंत मान से अच्छे रिश्ते हैं।
कुछ दिन पहले उनकी भगवंत मान से मुलाकात भी हुई थी।
इसके अलावा सरकार अक्सर कैदियों को खास मौके पर राहत देती है।
अगर ऐसा हुआ तो सिद्धू को सजा में छूट का एक और मौका मिल सकता है।