चंडीगढ़
देव श्योकंद
पंजाब विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का ‘कैप्टन’ कौन होगा? कांग्रेस हाईकमान को यह बताना पड़ सकता है। चुनाव के बाद सरकार बनी तो CM चरणजीत चन्नी ही रहेंगे या फिर पंजाब कांग्रेस प्रधान नवजोत सिद्धू कुर्सी संभालेंगे? इसको लेकर जंग तेज हो गई है। खास बात यह है कि सिर्फ सिद्धू ही नहीं सीएम चन्नी भी चाहते हैं कि कांग्रेस हाईकमान इसकी घोषणा कर दे।
2017 में कांग्रेस ने कैप्टन अमरिंदर सिंह के नाम की घोषणा की थी। हालांकि, तब यह राजनीतिक दांव आम आदमी पार्टी (AAP) को पटखनी देने के लिए था। यह लड़ाई बाहरी बनाम पंजाबी की हो गई थी। इस दांव में कांग्रेस कामयाब भी रही। इस बार आप पंजाबी और सिख चेहरा ही सीएम कैंडिडेट बनाएगी तो ऐसे में कांग्रेस के आगे चुनौतियां उससे भी ज्यादा हैं।
कैप्टन के नाम से हमें फायदा हुआ था
पंजाब के मौजूदा कांग्रेसी CM चरणजीत चन्नी ने एक इंटरव्यू में कहा कि कांग्रेस को अपना सीएम चेहरा अनाउंस कर देना चाहिए। 2017 में कैप्टन अमरिंदर सिंह का नाम अनांउस किया गया तो हम जीत गए। उससे पहले बिना चेहरे से चुनाव में हम नहीं जीते। सीएम ने यहां तक दावा किया कि उस वक्त प्रताप सिंह बाजवा पार्टी प्रधान थे। इसके बावजूद वह कैप्टन के साथ खड़े रहे, क्योंकि लोग चाहते थे कि कैप्टन सीएम बनें। मैंने राहुल गांधी को भी कहा कि लोग कैप्टन के पक्ष में हैं। पार्टी ने सर्वे करके कैप्टन का नाम घोषित किया। इस बार भी लोग जिसे चाहेंगे, वह सीएम चेहरा होगा।
सिद्धू भी चाह रहे ‘कैप्टन’ वाला अंदाज
इससे पहले पंजाब कांग्रेस प्रधान नवजोत सिद्धू ने भी कैप्टन अमरिंदर सिंह वाला अंदाज दिखाया था। जिस तरह पिछली बार अमरिंदर को सीएम बनाने के लिए कांग्रेस के हक में मतदान हुआ। उसी तरह सिद्धू चाहते हैं कि लोग विधायकों के जरिए सीधे सीएम चेहरे का चुनाव करें। इसलिए वह कह रहे हैं कि सीएम कांग्रेस हाईकमान नहीं, बल्कि लोग तय करेंगे। साफ तौर पर वह चाहते हैं कि CM चेहरे के नाम पर पंजाब में कांग्रेस के हक में मतदान हो।
इस बार जाखड़ और बाजवा का भी नाम
सीएम चेहरे के लिए सीधे तौर पर नवजोत सिद्धू और चरणजीत चन्नी के बीच राजनीतिक खींचतान नजर होती है। इसमें अहम नाम पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रधान सुनील जाखड़ और सांसद प्रताप सिंह बाजवा का भी है। कांग्रेस हाईकमान जब भी सीएम चेहरे की घोषणा करेगा तो यह दोनों नाम भी जेहन में होंगे।उसकी वजह यह है कि कांग्रेस जाखड़ को कैप्टन को हटाने के बाद ही सीएम बनाना चाहती थी, लेकिन सिख स्टेट की बात कह उनका पत्ता काट दिया गया। प्रताप बाजवा भी केंद्र से राज्य की राजनीति में वापस लौटे हैं, जिसमें वह कह रहे हैं कि हाईकमान की मंजूरी है। ऐसे में उनकी भी सीएम कुर्सी के लिए दावेदारी मानी जा रही है।