हरियाणा सरकार ने करप्शन को खत्म करने के लिए एक और बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने सभी विभागाध्यक्ष को कच्चे कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के अधिकार दे दिए हैं। इस संदर्भ में मुख्य सचिव (CS) संजीव कौशल ने सभी विभागों को लेटर जारी किया है।
इससे पहले भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (1998) के तहत अभियुक्त कच्चे कर्मचारियों (आउटसोर्सिंग पॉलिसी पार्ट-वन और टू के तहत लगे) के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति के लिए अधिकारी सक्षम नहीं थे। केवल आउटसोर्सिंग एजेंसी, सर्विस प्रोवाइडर, कच्चे ही उन्हें हटा सकते थे, लेकिन सरकार ने अब इसमें बदलाव किया है।
मुख्य सचिव संजीव कौशल ने बताया कि सरकार ने फैसला लिया है कि विभागाध्यक्षों और कार्यालय के प्रमुख (संबंधित इंडेंट संगठन के प्रभारी) जिन्होंने सर्विस प्रोवाइडर के साथ सेवा समझौते में प्रवेश करने की मंजूरी दी है या कार्यालय प्रमुख, जिसके अनुमोदन के तहत कर्मचारियों को आउटसोर्सिंग नीति भाग-टू के तहत नियुक्त किया गया था, ऐसे मामलों में अभियोजन स्वीकृति प्रदान करने के लिए सक्षम प्राधिकारी होंगे।
मुख्य सचिव ने बताया कि सभी प्रशासनिक सचिवों, विभागाध्यक्ष, बोर्ड, निगम के प्रबंध निदेशकों, मुख्य प्रशासकों, मुख्य कार्यकारी अधिकारियों, मंडल आयुक्तों, रजिस्ट्रार, पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय, सभी DC और SDM को पत्र जारी किया गया है।