नई दिल्ली । ( Dev Sheokand )
नये कृषि कानूनों को लेकर केंद्र और पंजाब सरकार का सियासी घमासान तेज हो गया है। किसानों का आंदोलन, राज्यपाल के पास लटके बिल, पावर प्लांटों के लिए कोयले की कमी के कारण प्रदेश में बिजली संकट जैसे मुद्दों पर पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलने दिल्ली पहुंचे। लेकिन राष्ट्रपति से मुलाकात का समय नहीं मिलने पर उन्होंने प्रदेश के मंत्रियों, कांग्रेस के सांसदों, विधायकों व वरिष्ठ नेताओं के साथ यहां बुधवार को जंतर-मंतर पर धरना दिया। नवजोत सिंह सिद्धू भी धरने में शामिल हुए।
इससे पहले मुख्यमंत्री ने राजघाट जाकर महात्मा गांधी की समाधि पर पुष्प अर्पित किए। मुख्यमंत्री ने केंद्र पर पंजाब के साथ सौतेला व्यवहार करने का आरोप लगाते हुए कहा कि किसानों के हितों के लिए उनका संघर्ष जारी रहेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह कोई मोर्चा-बंदी नहीं है। हमने पंजाब के मौजूदा हालात की जानकारी देने के लिए राष्ट्रपति से समय मांगा था, जो नहीं दिया गया। इसलिए अपने विचार साझा करने के लिए धरना दिया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य को मार्च से जीएसटी का भुगतान नहीं किया गया। संवैधानिक गारंटी के 10 हजार करोड़ रुपये भी बकाया हैं।
कहा- केंद्र आपदा राहत फंड भी बंद किया केंद्र ने
उन्होंने कहा कि केंद्र की तरफ से आपदा राहत फंड भी बंद किया जा चुका है। लोक इंसाफ पार्टी के विधायक सिमरजीत सिंह बैंस, पंजाबी एकता पार्टी के विधायक सुखपाल खैहरा और शिरोमणि अकाली दल (डेमोक्रेटिक) के विधायक परमिंदर सिंह ढींडसा भी धरने में शामिल हुए। इससे पहले नवजोत सिंह सिद्धू को पुलिस ने सीमा पर रोक लिया था, काफी गरमागरमी के बाद उन्हें दिल्ली में प्रवेश की अनुमति मिली।
धरने पर भी मुख्यमंत्री अमरेंद्र सिंह और पूर्व मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के सुर अलग रहे। सिद्धू ने नये कृषि कानूनों को काला कानून बताते हुए मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला। सिद्धू ने कहा कि यह कानून देश के सिर्फ 2 उद्योगपतियों अंबानी और अडाणी के गोदाम भरने के लिए बनाए गये हैं। वहीं, मुख्यमंत्री ने कहा कि वह कोई लड़ाई लड़ने नहीं आए हैं। वह अंबानी और अडाणी के खिलाफ भी नहीं हैं। वह केवल अपने राज्य के किसानों की आवाज रखने आए हैं, जिनका अपने आढ़तियों से दशकों से पारिवारिक रिश्ता है।